रविवार, 24 मार्च 2013

डॉ.कविता वाचक्नवी को ‘आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी पत्रकारिता सम्मान’ प्रदत्त


लन्दन स्थित भारतीय उच्चायुक्त डॉ जैमिनी भगवती से आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी पत्रकारिता सम्मान प्राप्त करते हुए डॉ. कविता वाचक्नवी.
ब्रिटेन के विभिन्न नगरों से आए लेखक, पत्रकार तथा कला एवं साहित्य क्षेत्र के प्रतिष्ठित अतिथिगण. 

डॉ. कविता वाचक्नवी को प्रदत्त स्मृतिचिह्न और प्रशस्तिपत्र
 डॉ. कविता वाचक्नवी को  स्मृतिचिह्न भेंट करते हुए भारतीय उच्चायुक्त डॉ जैमिनी भगवती. 

 “जॉन गिलक्रिस्ट यू.के.हिन्दी शिक्षण सम्मान” प्राप्त करते हुए प्रो. महेंद्र किशोर वर्मा

डॉ. कविता वाचक्नवी को प्रदत्त प्रशस्ति-पत्र

भारतीय उच्चायोग, लंदन में

 “यू.के.हिंदी सम्मान”

 समारोह संपन्न 

हैदराबाद, 24 मार्च 2013.

भारतीय जीवन मूल्यों के वैश्विक प्रचार-प्रसार की संस्था “विश्वम्भरा” की संस्थापक-महासचिव डॉ.कविता वाचक्नवी को विश्व हिन्दी दिवस के उपलक्ष्य में भारतीय उच्चायोग, लंदन द्वारा इण्डिया हाउस में 19 मार्च, 2013 आयोजित समारोह में “आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी पत्रकारिता सम्मान” किया गया। इस अवसर पर भारत के उच्चायुक्त महामहिम डा. जे॰ भगवती ने उन्हें नकद राशि, स्मृति चिह्न, शॉल और प्रशस्ति पत्र प्रदान किए। उन्हें यह सम्मान मुख्यतः इन्टरनेट व प्रिंट मीडिया द्वारा भाषा, साहित्य, संस्कृति व पत्रकारिता के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए दिया गया है.

उल्लेखनीय है कि  अमृतसर में जन्मी कविता वाचक्नवी ने अपनी उच्च शिक्षा दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा के हैदराबाद केंद्र में प्राप्त की है और समाज-भाषा-विज्ञान तथा काव्यसमीक्षा जैसे विषयों में एमफिल और पीएचडी अर्जित करने के बाद अब वे सपरिवार लन्दन में रह रही हैं. भारतीय उच्चायोग द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया है कि "आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी पत्रकारिता सम्मान" ग्रहण करते हुए डॉ कविता वाचक्नवी ने अपने दादाश्री व पिताश्री का विशेष उल्लेख किया व लाहौर से हिमाचल और पंजाब तक उनके किए कार्यों व बलिदानों को उपस्थितों के साथ बाँटते हुए बताया कि कैसे हिन्दी सत्याग्रह में जेल में रहने से लेकर हिमाचल को हिन्दीभाषी राज्य का दर्जा दिलाने तक के लिए उनके परिवार ने कष्ट सहे। वाचक्नवी ने अपना सम्मान उन्हीं को समर्पित करते हुए कहा कि वे यह सम्मान उनके प्रतिनिधि के रूप में ग्रहण कर रही हैं। उन्होंने राजदूत व उच्चायोग से अनुरोध किया कि ब्रिटेन में भारतीय उच्चायोग की वेबसाईट को द्विभाषी बनाया जाना चाहिए व उसे अंग्रेजी के साथ साथ हिन्दी में भी उपलब्ध होना चाहिए।

विज्ञप्ति के अनुसार इस समारोह में दो अन्य विशिष्ट हिंदी सेवियों तथा एक हिंदी संस्था को भी सम्मान प्रदान किए गए. “जॉन गिलक्रिस्ट यू.के.हिन्दी शिक्षण सम्मान” से यॉर्क विश्वविद्यालय के विख्यात भाषाविद प्रो. महेंद्र किशोर वर्मा को तथा “डा॰ हरिवंश राय बच्चन यू.के.हिन्दी साहित्य सम्मान” से बर्मिंघम के हिंदी लेखक डॉ॰ कृष्ण कुमार को सम्मानित किया गया जबकि नाटिङ्घम की संस्था “काव्य रंग” को “फ़्रेडरिक पिंकोट यू.के.हिन्दी प्रचार सम्मान” प्रदान किया गया.

इस अवसर पर सम्मानितों को बधाई देते हुए सभा को संबोधित कर अपना वक्तव्य हिन्दी में देते हुए उच्चायुक्त डॉ जैमिनी भगवती ने कहा कि वे स्वयं असमिया भाषी होते हुए दिल्ली में रहने के कारण हिन्दी में व्यवहार करते रहे हैं व उनकी शिक्षा का माध्यम अंग्रेजी रही है। उन्होने ज़ोर देकर कहा कि निजी रूप से वे त्रिभाषा नीति को भारत के लिए श्रेयस्कर समझते हैं। विश्व पटल पर भारत से बाहर के लोगों के लिए अंग्रेजी, समस्त भारतीय कारकलापों के लिए हिन्दी व अपनी मातृभाषा अथवा एक प्रांतीय भाषा प्रत्येक भारतीय को अवश्य सीखनी पढ़नी चाहिए।

“जॉन गिलक्रिस्ट यू.के.हिन्दी शिक्षण सम्मान” स्वीकार करते हुए प्रो. महेंद्र किशोर वर्मा ने अपने वक्तव्य में यॉर्क विश्वविद्यालय में सर्वप्रथम हिन्दी अध्यापन प्रारम्भ होने सम्बन्धी अपने संस्मरण सुनाए और यूके में हिन्दी अध्यापन से जुड़ी स्थितियों का उल्लेख करते हुए 35 वर्ष के अध्यापन का उल्लेख किया। इसी प्रकार "डॉ. हरिवंश राय बच्चन हिंदी साहित्य सम्मान" ग्रहण करते हुए डॉ. कृष्ण कुमार ने भारत में संस्कृत, हिंदी और दूसरी क्षेत्रीय भाषाओं को बढ़ावा देने के लिए भावपूर्ण अपील करते हुए चेतावनी दी कि ऐसा नहीं करने पर आने वाले दिनों में भारत को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।

समारोह् में “डॉ. लक्ष्मीमल सिंघवी प्रकाशन अनुदान योजना” के अंतर्गत श्रीमती उषा वर्मा को उनकी पुस्तक 'सिम कार्ड तथा अन्य कहानियाँ’ और डा॰ कृष्ण कन्हैया को उनके काव्य संग्रह 'किताब जिंदगी की’ के प्रकाशन हेतु नकद राशि और मानपत्र दिया गया।

इंडिया हाउस में हुए इस पुरस्कार समारोह में उप उच्चायुक्त डॉ. वीरेंद्र पाल और उच्चायोग में मंत्री (समन्वय) एसएस सिद्धू भी उपस्थित थे। सिद्धू जी ने अपना स्वागत वक्तव्य हिन्दी में दिया व धन्यवाद वक्तव्य भी डॉ वीरेंद्र पॉल द्वारा हिन्दी में ही दिया गया। कार्यक्रम का संचालन उच्चायोग के हिन्दी व संस्कृति अताशे श्री बिनोद कुमार ने सफलतापूर्वक किया। ब्रिटेन के विभिन्न नगरों से आए लेखक, पत्रकार तथा कला एवं साहित्य क्षेत्र के भारतीय मूल के लोग बड़ी संख्या में समारोह में उपस्थित थे ।

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